जब अपने बचपन की मासूमियत से महरुम थे हम। जब अपने बचपन की मासूमियत से महरुम थे हम।
आग़ाज़-ए-ज़िंदगी की लाई मदहोश वस्ल की रात इकरार-ए-चाहत से हक़ीक़त बनेगा। आग़ाज़-ए-ज़िंदगी की लाई मदहोश वस्ल की रात इकरार-ए-चाहत से हक़ीक़त बनेगा।
उतना ही आसाँ है इस मासूम नशे में बार बार डूब जाना ! उतना ही आसाँ है इस मासूम नशे में बार बार डूब जाना !
न देखूँ तुझे तो चलेगा लेकिन तस्वीर तेरी कभी भी किसी कोरे काग़ज़ पर न उकेरूँगा। न देखूँ तुझे तो चलेगा लेकिन तस्वीर तेरी कभी भी किसी कोरे काग़ज़ पर न उकेरूँगा।
अपना सा मुँह लेकर बेचारे, घर को चुपचाप लौट गये। अपना सा मुँह लेकर बेचारे, घर को चुपचाप लौट गये।
शब्द महज आज भी बस शब्द ही हैं और तुम आज तलक बस ख़्वाब... शब्द महज आज भी बस शब्द ही हैं और तुम आज तलक बस ख़्वाब...